क्या आपने कभी महसूस किया है कि कुछ आपके अंदर छुपा हुआ है? मेरे साथ ऐसा ही हुआ। मेरी खोज की यात्रा ने मुझे अपनी ही आत्मा का एक नया पहलू दिखाया। वो थी रचनात्मकता। फिर एक दिन, सच में, कला से प्यार कैसे हुआ मुझे, यह सवाल मेरे जीवन का सबसे बड़ा जवाब बन गया। यह कोई साधारण जुनून नहीं, बल्कि मेरे होने का कारण बन गया।
वो पहला कदम: एक डरावनी सी शुरुआत
मैं हमेशा से सोचता था कि कलाकार पैदाइशी होते हैं। मेरे हाथ तो सिर्फ स्क्रिबल करने लायक थे। फिर एक बार, ऑफिस की एक वर्कशॉप में हमें एक एक्टिविटी दी गई। हमें अपनी ‘खुशी’ को कागज़ पर उतारना था। मेरे हाथों ने बिना सोचे-समझे रंग भरने शुरू कर दिए। यह मेरी पहली बारिश की बूंद थी। एक सर्वे के मुताबिक, 75% लोग मानते हैं कि उनकी रचनात्मकता बचपन में ही दबा दी जाती है। मेरे साथ भी शायद ऐसा ही हुआ था।
उस दिन मैंने जो बनाया, वो कोई महान पेंटिंग नहीं थी। लेकिन वो मेरी थी। उसमें मेरी भावनाएँ थीं। कैनवास पर रंगों का मेल देखकर एक अजीब सी शांति मिली। ऐसा लगा जैसे मैं बिना शब्दों के भी बोल रहा हूँ। यही तो कला का जादू है न?
जब बना एक सच्चा जुनून
उसके बाद, कुछ ऐसा हुआ कि मैं रुक नहीं पाया। हर खाली पल में मैं कुछ न कुछ बनाने लगा। शुरुआत में तो सब बेकार ही लगता था। लेकिन फिर एक दोस्त ने कहा, “भाई, तू तो इसमें छुपा हुआ कलाकार है!” उस एक वाक्य ने मेरा कॉन्फिडेंस बूस्ट कर दिया।
मैंने छोटे-छोटे प्रोजेक्ट शुरू किए। हर रोज़ 15 मिनट पेंटिंग के लिए निकालने लगा। कभी कॉफी के दाग से डूडल बनाता, तो कभी पुराने अखबार पर स्केच। यह मेरी दिनचर्या का सबसे कीमती हिस्सा बन गया। एक रिसर्च कहती है कि रोजाना रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने से तनाव 45% तक कम हो सकता है। मैं इसकी लाइव मिसाल हूँ।
मेरी आत्मा की आवाज़ बनी कला
इस सफर ने मुझे सबसे बड़ी चीज़ क्या सिखाई? यह कि कला सिर्फ एक हॉबी नहीं है। यह एक थेरेपी है। एक भाषा है। जब शब्द फेल हो जाते हैं, तब रंग बोलते हैं। मेरे लिए, कैनवास एक डायरी बन गया है। जहाँ मैं अपने दुख, सुख, उम्मीदें, सब कुछ उड़ेल देता हूँ।
क्या आपका भी कोई ऐसा शौक है जो आपकी आत्मा से जुड़ता है? अगर नहीं, तो कोशिश जरूर करें। आप हैरान रह जाएंगे।
आप भी शुरुआत करें: मेरे कुछ आसान टिप्स
अगर आप भी अपने अंदर के कलाकार को जगाना चाहते हैं, तो ये छोटे-छोटे कदम उठाएं। याद रखें, परफेक्ट होना जरूरी नहीं है, शुरू करना जरूरी है।
- हर दिन 10 मिनट: बस एक स्केचबुक लें और कुछ भी ड्रा करें। चाहे वो आपका कॉफी मग ही क्यों न हो।
- जजमेंट फ्री जोन बन
