क्या आपने कभी महसूस किया है कि एक छोटी सी पार्क में सैर के बाद आपका मूड एकदम फ्रेश हो जाता है? 🤔 यह कोई संयोग नहीं है। प्रकृति की सैर और दिमागी स्वास्थ्य का गहरा नाता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, यह एक तरह की प्रकृति चिकित्सा ही है। सच कहूँ तो, प्रकृति की सैर से दिमागी स्वास्थ्य में फायदे इतने हैं कि आप हैरान रह जाएंगे। यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी दवा है। चलिए, इसके जादू को समझते हैं।

मैं अपने एक दोस्त की बात करूँ? उसका तनाव इतना ज्यादा था कि नींद गायब थी। फिर उसने रोज़ सुबह पार्क में टहलना शुरू किया। कुछ ही हफ्तों में, वह व्यक्ति ही बदल गया। उसने कहा, “यार, लगता है मैंने खुद को फिर से खोज लिया है।” और यह सिर्फ उसकी कहानी नहीं है। विज्ञान भी इसे मानता है।

एक जापानी अभ्यास है ‘शिनरिन-योकू’ यानी ‘फॉरेस्ट बाथिंग’। इसमें बस जंगल में समय बिताया जाता है। स्टडीज़ बताती हैं कि ऐसा करने से तनाव के हॉर्मोन ‘कोर्टिसोल’ का लेवल काफी कम हो जाता है। यह तनाव मुक्ति का सबसे प्राकृतिक तरीका है। आपको बस हरियाली के बीच होना है।

दिमागी स्वास्थ्य के लिए प्रकृति क्यों है ज़रूरी?

हमारा दिमाग लगातार चलने वाली एक मशीन की तरह है। उसे भी आराम चाहिए। कंक्रीट के जंगलों में, वह थक जाता है। लेकिन प्रकृति की गोद में, उसे वह शांति मिलती है जिसकी उसे तलाश थी। यहाँ कुछ वैज्ञानिक कारण हैं:

  • ध्यान लगाने में मदद: प्रकृति आपका ध्यान अपनी ओर खींचती है। पक्षियों की चहचहाहट, पत्तियों की सरसराहट। इससे दिमाग उन चिंताओं से हट जाता है जो उसे परेशान कर रही थीं।
  • क्रिएटिविटी बूस्ट: एक रिसर्च के मुताबिक, प्रकृति में समय बिताने वाले लोग क्रिएटिव प्रॉब्लम-सॉल्विंग टेस्ट में 50% बेहतर प्रदर्शन करते हैं। कूल, है न?
  • मूड स्विंग्स पर कंट्रोल: सूरज की रोशनी विटामिन D देती है, जो हैप्पीनेस हॉर्मोन सेरोटोनिन को बढ़ाती है। मतलब, आप ज्यादा खुश महसूस करते हैं।

यह एक रीसेट बटन दबाने जैसा है। जब आप प्रकृति में कदम रखते हैं, आपका दिमाग एक नई एनर्जी के साथ रीबूट होता है।

आपकी रोज़मर्रा की प्रकृति की सैर कैसी होनी चाहिए?

आपको जंगल में ही जाने की ज़रूरत नहीं है। इसे साधारण रखें। यहाँ कुछ आसान टिप्स हैं जो आप आज से ही अपना सकते हैं:

  • फोन को ‘ऑफ’ कर दें: सच्ची मन की शांति तभी मिलेगी जब आप डिजिटल दुनिया से डिस्कनेक्ट हो जाएंगे। इसे ‘मी टाइम’ बनाएं।
  • सभी इंद्रियों का इस्तेमाल करें: सिर्फ देखें ही नहीं, महसूस करें। हवा का झोंका, फूलों की खुशबू, पक्षियों की आवाज़। पूरी तरह से उसमें खो जाएं।
  • समय निकालें: रोज़ाना सिर्फ 20-30 मिनट भी काफी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इसे अपनी डेली रूटीन का हिस्सा बना लें।

मेरी एक क्लाइंट ने बताया कि उसने लंच ब्रेक में ऑफिस के पास के गार्डन में 15 मिनट टहलना शुरू किया। उसका कहना था कि दोपहर बाद का काम करने का उसका एनर्जी लेवल दोगुना हो गया। छोटी-छोटी चीज़ें ही तो बड़ा असर दिखाती हैं।