कभी ऐसा महसूस हुआ है कि सब कुछ खत्म हो गया है? जैसे दीवारें इतनी ऊँची हैं कि चढ़ाई नामुमकिन लगे। मैंने भी ऐसा ही महसूस किया था। मेरी जिंदगी में एक वक़्त ऐसा आया जब हर तरफ संघर्ष ही संघर्ष था। मेरा हौसला टूटने वाला था, पर मैंने हार नहीं मानी। यही वजह बनी मेरी असली सफलता की। यह सिर्फ एक जीत की कहानी नहीं, बल्कि हार नहीं हौसला की मेरी पर्सनल जर्नी है।

सच कहूँ तो, उस वक़्त मैं बिल्कुल अकेला महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे दुनिया की सारी मुश्किलें सिर्फ मेरे सिर पर आ गई हों। लेकिन फिर एक बात याद आई – क्या मैं वाकई हार मानने वाला हूँ?

नहीं, बिल्कुल नहीं। मैंने तय किया कि अब मैं और मेहनत करूँगा। चाहे कुछ भी हो जाए। यह फैसला मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

वो शुरुआती दिन: जब सब कुछ अंधेरा था

मैं एक छोटे शहर से था। बड़े सपने देखने की हिम्मत तो थी, लेकिन रास्ता बिल्कुल अंजान था। पहली बड़ी असफलता तब आई जब मेरा बिजनेस आइडिया फ्लॉप हो गया। मैंने अपनी सारी बचत उसमें लगा दी थी।

उस समय लगा जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। एक रिसर्च के मुताबिक, 90% स्टार्टअप्स पहले 5 साल में फेल हो जाते हैं। पर मैं उस 10% में शामिल होना चाहता था। मेरा हौसला अभी बाकी था।

मैंने कैसे बदला अपना नज़रिया?

हार मान लेना आसान था। लेकिन मैंने उस आसान रास्ते को नहीं चुना। मैंने खुद से सवाल किया – “क्या सच में मेरी कोशिश पूरी हुई थी?” जवाब था ‘नहीं’।

मैंने फैसला किया कि अब हर failure को सीख के तौर पर देखूंगा। ये छोटा सा माइंडसेट बदलाव गेम-चेंजर साबित हुआ। मैंने अपनी लगन को दोगुना कर दिया।

मेरी वो तीन आदतें जिन्होंने बदल दी गेम

  • रोज़ की जीत: मैं हर रोज़ एक छोटा सा गोल सेट करता। चाहे वो 10 pages पढ़ना हो या 5 नए लोगों से connect करना। छोटी-छोटी जीत ने मेरा कॉन्फिडेंस वापस लाया।
  • मेंटर की तलाश: मैंने उन लोगों से सलाह लेनी शुरू की जो वहां पहुँच चुके थे जहाँ मैं पहुँचना चाहता था। उनकी प्रेरणा ने मुझे रास्ता दिखाया।
  • सेल्फ-केयर: मैंने सीखा कि बिना आराम के, बिना mental peace के कोई भी लंबी race नहीं दौड़ सकता। खुद का ख्याल रखना भी जरूरी है।

आखिरकार वो पल आया: जीत!

दो साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद वो दिन आया। मेरा दूसरा business idea कामयाब हुआ। पहली बार profit हुआ। उस पल का एहसास शब्दों से बाहर है। यह मेरी निजी जीत की कहानी थी।

पर असली सफलता तो ये थी कि मैं वो इंसान बन गया था जो हार नहीं मानता। मेरा हौसला